Tuesday, January 19, 2010

hamari nani

नानी हमारी कितना सुनती हम सब बच्चों को प्यारी प्�¤
�ारी
कहानी.
जब आती तब लाती सभी के लिए खुशियाँ ढेर सारी.
कितना प्यार ढेर सारा दुलार देकर करती हम सबको
हटटा, कटता और मोटा.
हम सब नटखट मिलकर करते नानी को तंग
और पीछे पीछे नानी आती लिए चेहरे पर दंग.
रोज़ रात को नानी हमारी करती किसी का शिकार
जो चला जाता करके कनों में भिन भिन सा आवाज़.
आँखों पर चश्मा और मस्तक पर लगाती एक लंबा टीका
पर समझना ना इनको ढीला.
साँप सीढ़ी के खेल में नानी हमारी एक नंबर
देर ना लगती उन्हे बनाने में सामने वालà �‡ को बंदर.
नानी हमारी पहनती सारी एकद्ूम कड़क कड़क
और लगती अब भी मस्त तड़क भड़क.
जब कभी बतियाती नानी फोन पर
तो लगाना भूल जाती मशीन कान पर.
हमारी प्यारी नानी नेवले की कहानियाज़ भी सुनती
तो 'राम मारया' बोलना ना भूलती.
आज भी हम सब
बच्चों को करती हैं याद
और सुलाती हम सबको अपने साथ.
पर नानी एक बात समझ नही आती
क्या सभी ननियाँ अपने बच्चों से करती हैं
इतना सारा प्यार?
बातें तो रखती सब ठीक ताक याद
फिर कैसे ना उन्हे खुद का जन्मदिन याद?
, बी, सी में नानी बिल्कुल पक्की,
और अँग्रेज़ी पढ़ने में रखती हैं रूचि.
बुलातें हैं उनके पोते उन्हें मा
फिर नानी हमारी बन गयी से
बच्चों की मा.

Monday, January 18, 2010

fishvilla

frogvilla


inspired from the villa's of facebook here comes my version called frogvilla..